शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

शब्द मेरे ........


क्या रह गया है अब मेरे पास ,
                         मात्र शब्द मेरे

कभी टूट जाते है ,
कभी बिखर जाते है ,
             कभी गुनगुनाते है , शब्द मेरे

क्या होगा मेरा
अगर किसी ने छीन लिए ,
कभी कभी कुछ भी नही
                  कह पाते है , शब्द मेरे

मुझे रुलाते है ,
मुझे हँसाते है ,
             मुझे समझाते है ,   शब्द मेरे

मन मेरा तेरा आभारी है ,
                            शब्द मेरे..... .

बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

ये मुझे क्या हो रहा है ?


एनकाउंटर  कक्ष “
महाकंकाल  एनटरप्राइजेज़ “
शादी  की सबसे बड़ी क्रान्ति “
“ यहाँ विज्ञापन ना चिपकाए - आदर्शानुसार

यूं तो मुझे घर और ऑफिस के चक्कर मे हमेशा ही हड़बड़ी होती रहती है | पर ये क्या हो रहा है ..... जो पिछले दिनो मैंने ऑफिस या बाज़ार आते जाते , दीवारों पर /दुकानों के साइन बोर्ड / या किसी सूचना पट पर लिखे हिन्दी वाक्यो को कुछ इस तरह से पढ़ लिया | जबकि वहाँ लिखा था –
“अनाउंसमेंट कक्ष”
“महांकाल एनटरप्राइजेज़”
“सदी की सबसे बड़ी क्रान्ति”
“यहाँ विज्ञापन ना चिपकाए – आदेशानुसार”

क्या सबके साथ ऐसा होता रहता है ????