मंगलवार, 31 अगस्त 2010

क्षमा जी का ब्लॉग – एक अनुभव

हिन्दी ब्लॉग जगत से मेरा जुड़ाव यहीं कुछ छ: आठ महीनों से है | और , पिछले लग-भग चार महीनों से अपने ब्लॉग पर कुछ भी नहीं लिख पायी हूँ | लेकिन आज कुछ ऐसा हुआ की लिखने को विवश होना पड़ा |
आज क्षमा जी की टिप्पणी आयी - ये कहते हुए कि, उनके ब्लॉग पर मैंने जो टिप्पणियाँ की है उसके लिए वे शुक्र गुज़ार है |

क्षमा जी के ब्लॉग के बारे मे यहाँ कुछ कहना चाहती हूँ –

हिन्दी ब्लॉग जगत मे surfing करते हुए मैं भिन्न भिन्न हिन्दी ब्लॉग देखती /पढ़ती रहीं हूँ | ये सभी ब्लॉग कविताए ,कहानियाँ , यात्रा संस्मरण , आने जाने वाले मौसमों एवं त्यौहारों के बारे मे लेख , दैनिक जीवन के अनुभवो से भरे पड़े है |

एक ब्लॉग  पढ़ा और अगले पर बढ़ गए |

लेकिन क्षमा जी के ब्लॉग (क्षमा – बिखरे सितारे ) ने मेरे मन मानस पर ऐसा प्रभाव डाला कि पहली बार पढ़ने मे ही इससे मै बंध सी गई | पूजा की कहानी बड़ी ही thought provoking ( हिन्दी शब्द सूझ नही रहा है ) लगी | कहानी की अगली पोस्ट का हमेशा इंतज़ार रहता था |अलग अलग एपिसोड्स पर मैंने टिप्पणियाँ भी भेजी , और इन्ही मे से एक टिप्पणी पर क्षमा जी का response आया कि पात्रों के नाम, स्थान जो भी हो, ये तो एक सच्ची कहानी है |
My God…..! कोई पति इतना निर्दयी कैसे हो सकता है ? कोई पत्नी इतनी सहनशील कैसे हो सकती है ? मेरा विद्रोही मन कहने लगा कि ,पूजा को तुरंत अपने पति से अलग हो जाना चाहिए तभी उसकी अकल ठीकाने आएगी ! परंतु यह भी सही है कि जिस पर बीत रही है ,वो अपने आप को परिस्थिती के अनुसार ढालता चला जाता है |पूजा ने यही किया !!!

क्षमा जी, टिप्पणियों के लिए शुक्र गुजारी क्यूँ ?
उत्कृष्ट लेखन के लिए बारम्बार साधुवाद !
आप लिखें ,खूब लिखें और लिखते रहें ......

3 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

Aksar pathak yahi kahte hain,ki,wo alag kyon na hui? Shuruati daurme alag hoti to bachhon se haath dho baithatee...aur ab aarthik halat aise nahi ki,wo alag ghar leke rah sake...na naihar se kabhi sahara raha(aarthik).Tabadlon kee mulazimat me Pooja kabhi sthayi taurse koyi kaam/naukari kar na saki..!
Phir ekbaar shukriya!
Pahli baar shukriya kaha wo kewal comment ke liye nahi tha...padh ke,jude rahke,comment karne ke liye!

दीपक बाबा ने कहा…

भाई अपन भी जा कर देखेंगे........
क्षमा जी के ब्लॉग को.......

शारदा अरोरा ने कहा…

सच कहा आपने ,जिसने भी एक कड़ी भी पढ़ी वो क्षमा जी के ब्लॉग को पढने के लिये बार बार उनके ब्लॉग से जुड़ा । गौरव को न छोड़ने का निर्णय लेना ही तो कठिन काम था और उसी मुश्किल डगर पर ये किरदार चला , वैसे भी कोई अपने अतीत को काट कर अलग नहीं कर पाता।