गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

जब मैं छोटा था...

कल मेरे कज़ीन ने एक ई–मेल फारवर्ड की |इस मेल ने कुछ सोचने पर विवश कर दिया| दिल को छू लेने वाली इस रचना को अपने ब्लॉग पर शेयर कर रही हूँ –

“ “ “....
जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी...
मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक का वोह रास्ता, क्या क्या नहीं था वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दूकान, बर्फ केगोले, सब कुछ,
अब वहां "मोबाइल शॉप", "विडियो पार्लर" है, फिर भी सब सूना है...
शायद अब दुनिया सिमट रही है...


जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी...
मैं हाथ में पतंग की डोर पकडे, घंटो उड़ा करता था , वो लम्बी "साइकिल रेस", वो बचपन के खेल, वो हर शाम थकके चूर हो जाना,
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है...
शायद वक्त सिमट रहा है...

जब मैं छोटा था, शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी...
दिन भर वो हुज़ोम बनाकर खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना, लड़कियों की बातें, वो साथ रोना, अब भी मेरे कईदोस्त है,
पर दोस्ती जाने कहाँ है, जब भी "ट्रेफिक सिग्नल" पे मिलते है "हाई" करते है, और अपने अपने रस्ते चल देते है,
होली, दिवाली, जन्मदिन, नए साल पर बस SMS आ जाते है...
शायद अब रिश्ते बदल रहे है...


जब मैं छोटा था, तब खेल भी अजीब हुआ करते थे,
छुपन छुपाई, लंगड़ी टांग, पोषम पा, कट थे केक, टिपि टिपि टाप,
अब इन्टरनेट, ऑफिस, फिल्म्स से फुरसत हई नहीं मिलती...
शायद ज़िन्दगी बदल रही है...


ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सच यही है... जो अक्सर कबरिस्तान के बहार बोर्ड पर लिखा होता है,
"मंजिल तो यही थी, बस ज़िन्दगी गुज़र गयी मेरे यहाँ आते आते"...

ज़िन्दगी का लम्हा बहुत छोटा सा है,
कल की कोई बुनियाद नहीं है...
और आने वाला कल सिर्फ सपने में ही है...
अब बच गए इस पल में...
तमन्नाओं से भरी इस ज़िन्दगी में हम सिर्फ भाग रहे है...
इस ज़िन्दगी को जीयो ना कि काटो... “ “ “


नया साल आने को है | उम्मीद है कि नया साल सभी के लिए आशाओ से भरा और उमंगों से जगमग होगा |

सोमवार, 27 दिसंबर 2010

Salute to 2010

The Year has almost Gone...
But made us strong.

The path was long...
But we walked with a song.

There were fears & tears & cheers...
As we traveled the year.

We know that GOD doesn't require us to " Be the BEST"
He just want us to " DO Our BEST"
and ,he will take care of the rest!!!

With Happy memories of the year ,
Good Bye dear year 2010.

गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

हैप्पी बर्थडे माइ डियर ब्लॉग

डियर ब्लॉग – बिलेटेड हैप्पी बर्थ दे टू यू !!!!
ब्लॉग का पहला बर्थ डे 9 दिसंबर को निकल गया और मुझे अब ध्यान आया |

डियर ब्लॉग , देर से ही सही , ... जनम दिन मुबारक ।


इस अवसर पर ब्लॉग को नया कलेवर देना ही है |
तीन चार दिनों तक ढेरो टेम्पलेट्स खोजने की कवायद करते हुए एक डिजाइन पसंद आया और इसके ले आउट मे छोटे मोटे बदलाव करने के बाद , लो जी... मेरा ब्लॉग नए रूप मे प्रस्तुत है |
खिले चटख रंग, फूल , तितलिया , मेरे मन को भा गए है |
डियर ब्लॉग जी .... तुम जियो हजारो साल , साल के दिन हो पचास हजार |

मंगलवार, 31 अगस्त 2010

क्षमा जी का ब्लॉग – एक अनुभव

हिन्दी ब्लॉग जगत से मेरा जुड़ाव यहीं कुछ छ: आठ महीनों से है | और , पिछले लग-भग चार महीनों से अपने ब्लॉग पर कुछ भी नहीं लिख पायी हूँ | लेकिन आज कुछ ऐसा हुआ की लिखने को विवश होना पड़ा |
आज क्षमा जी की टिप्पणी आयी - ये कहते हुए कि, उनके ब्लॉग पर मैंने जो टिप्पणियाँ की है उसके लिए वे शुक्र गुज़ार है |

क्षमा जी के ब्लॉग के बारे मे यहाँ कुछ कहना चाहती हूँ –

हिन्दी ब्लॉग जगत मे surfing करते हुए मैं भिन्न भिन्न हिन्दी ब्लॉग देखती /पढ़ती रहीं हूँ | ये सभी ब्लॉग कविताए ,कहानियाँ , यात्रा संस्मरण , आने जाने वाले मौसमों एवं त्यौहारों के बारे मे लेख , दैनिक जीवन के अनुभवो से भरे पड़े है |

एक ब्लॉग  पढ़ा और अगले पर बढ़ गए |

लेकिन क्षमा जी के ब्लॉग (क्षमा – बिखरे सितारे ) ने मेरे मन मानस पर ऐसा प्रभाव डाला कि पहली बार पढ़ने मे ही इससे मै बंध सी गई | पूजा की कहानी बड़ी ही thought provoking ( हिन्दी शब्द सूझ नही रहा है ) लगी | कहानी की अगली पोस्ट का हमेशा इंतज़ार रहता था |अलग अलग एपिसोड्स पर मैंने टिप्पणियाँ भी भेजी , और इन्ही मे से एक टिप्पणी पर क्षमा जी का response आया कि पात्रों के नाम, स्थान जो भी हो, ये तो एक सच्ची कहानी है |
My God…..! कोई पति इतना निर्दयी कैसे हो सकता है ? कोई पत्नी इतनी सहनशील कैसे हो सकती है ? मेरा विद्रोही मन कहने लगा कि ,पूजा को तुरंत अपने पति से अलग हो जाना चाहिए तभी उसकी अकल ठीकाने आएगी ! परंतु यह भी सही है कि जिस पर बीत रही है ,वो अपने आप को परिस्थिती के अनुसार ढालता चला जाता है |पूजा ने यही किया !!!

क्षमा जी, टिप्पणियों के लिए शुक्र गुजारी क्यूँ ?
उत्कृष्ट लेखन के लिए बारम्बार साधुवाद !
आप लिखें ,खूब लिखें और लिखते रहें ......

गुरुवार, 18 मार्च 2010

March Blues / मार्च फीवर



इन दिनो , दिन कैसे सरपट  भाग रहे है । मानो एक के बाद एक घटित होते घटनाक्रम, थमने, ठहरने, समझने के लिये अंतराल ही नही ।  फास्ट एकशन मूवी की तरह ।

हर साल की तरह इस बार भी हम सरकारी लोगो को  मार्च फीवर/सिंड्रोम से दो चार होना पड रहा है ।
 

# मार्च फीवर  यानी सरकारी ऑफिसो मे इयर एंडिंग के काम का निपटान , कट ऑफ  डेट तक बजट टारगेट पूरा करने की भाग दौड। उपर से यदि विधान सभा सत्र चल रहा हो तो मंत्रालय के कर्मचारी/अधिकारियों की  शक्लो- सूरत और आपाधापी देखते ही बनती है ।
किसी ग्रंथ के किसी श्र्लोक का अनुवाद सादर प्रस्तुत -
सरकारी प्राणी काम तो खूब करते है(???....), ये अलग बात है कि इस काम के दर्शन सिर्फ कागज़ों पर ही होते है

# मार्च फीवर यानी इनकम टेक्स का टेंशन , टेक्स बचाने के लिये इंवेस्टमेंट की जुगत ।
पिछले कुछ सालो मे मै इनकम टेक्स के गूढ रहस्यो को अच्छा  खासा (या...थोडा बहुत ) समझने लगी हू ।मुझे समझ आ गया है कि, कुल मिला कर
इधर कुआँ उधर खाई , इधर इनकम टेक्स  उधर महंगाई !!!
बच सको तो बच लो very challenging job !!

# मार्च फीवर  यानी बच्चों  के फाइनल एक्ज़ाम,
यूं तो मार्च फीवर ,फरवरी के अंतिम सप्ताह से ही शुरू होने लगता है ।
सीबीएसइ के स्कूलों मे बच्चों के फिनल एक्ज़ाम फरवरी के अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाते है और मार्च के आधे गुज़रते तक परीक्षाए खतम्। इन दिनो बच्चों को कुछ extra attention  देना पडा ।
खान पान ,पढने खेलने का समय , बदलते मौसम के तेवर से बचाव , सभी कुछ सम्भालने की कामयाब कवायद कर डाली ।Thank god ,सब ठीक ठाक रहा।

अभी बस इतना ही । अगली पोस्ट जल्दी ही लिखना चाहती हूँ।








सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

ज़ींदगी कहीं गुम है

ए सी ऑफिस ,बडा सा केबिन ,दिन भर मीटींग्स ,लोगों से मिलना ।
दुख सुख कहने सुनने वाला लंगोटिया यार कहीं गुम है ।

लाखों का पे पैकेज, बडी सी गाडी, भरपूर सेविंग्स,
जी भर के शॉपिंग, हाई फाई लिविंग |
सामानो के इस ढेर मे माँ का आँचल कहीं गुम है ।

वीक एंड्स मे पार्टियाँ ,कभी पब और डिस्को , चीयर्स चीयर्स की चिल्लाहट ,
इस कोलाहल मे मन्दिर मे आरती ,मंजीरो का नाद कहीं गुम है ।

कार की स्पीड मे बचपन की साइकिल की सवारी
होटल के खाने मे , अम्मा के हाथों छौकी दाल की नीवारी
पिक्निक स्पॉट मे ,नानी के गाँव की गली
डी जे,वीजे के शोर मे कान्हा की मुरली कहीं गुम है ।

कॉनवेंट की पढाई है, अब बाराखडी कहाँ ,
हाय, हैलो की दुनिया मे बस औपचारिकता यहाँ
बस चार लोगो का परिवार अब,रिश्ते नाते कुछ नही
सीमेंट के जंगल मे ,माटी की खुशबू कहीं गुम है ।

हम है अपने करीअर के टेंशन मे ,हर दम चिंता सता रही ,
किस का, कहाँ,कैसा हिसाब लगाऊँ,बाकि कुछ पता नही
रेलम पेल और आपाधापी
ज़ींदगी कहीं गुम है । ज़ींदगी कहीं गुम है ।

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

मन

मन बेचैन, मन चंचल
मन पागल, मन घायल
मन धरती, मन आकाश
मन नीर, मन ही कमल
मन हिरन और मन पंछी
मन बादल, मन बरसात
मन है अलक, मन है पलक
मन दर्पण और मन अर्पण
मन कलरव मन नीरव
मन मौजी ....मन मौजी

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

वायरस IS2010

ब्लॉग पर बहु कुछ लिखना चाहती हूं परंतु समय बहुत बडी समस्या है । HATS OFF to the bloggers जो regularly दो चार दिन मे एक पोस्ट डाल दिया करते है ।

खैर, पिछले कुछ दिन बडे व्यस्तता मे बीते। ऑफिस,घर, घर मे मेहमानो की आवाजाही व्यस्तता का बडा कारण रही। रही सही कसर कम्प्युटर पर ज़बर्दस्त वायरस अटैक ने पूरी कर दी।मेरा पीसी IS2010 नामक वायरस की चपेट मे आ गया ।
यह एक बहुत ही खतरनाक वायरस साबित हुआ ,जो मेरे स्पैम मेल के जरिये आया। इस वायरस के कारण पीसी की स्पीड स्लो हो गयी ,डेस्क टॉप वाल पेपर हैक हो गया, मशीन चलते चलते हैंग़ होने लगी और प्रोग्राम/सॉफ्ट्वेयर चलने बन्द हो गये । इंटर्नेट चलना बन्द हो गया । अब बचा क्या ......?????

कम्प्युटर को ठीक करने मे बडे पापड बेलने पडे। रजिस्ट्री फाइलो मे बहुत सारे रद्दो बदल, सिस्टम फाइलो मे जा कर वायरस सर्च और स्केनिंग , रिमुविंग ,आदि आदि ...। Thank God, PC को फॉर्मेट किये बिना काम बन गया ।

ज़रा एक मिनट का समय निकाल कर गुगल पर सर्च करियेगा .. और खुद देखिये खुराफाती IS2010 कितना खतरनाक है ।(कुछ अपनी ही स्टाइल मे Happy New Year 2010 मनाता हुआ)|

इस वायरस को बनाने वाला बन्दा बस एक बार मेरे हाथ लग जाये ,...............।

बुधवार, 27 जनवरी 2010

रिपब्लिक डे 2010

सभी भारत वासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई । हार्दिक इच्छा है ,देश की सभी समस्याओ का खात्मा हो और देश बहुत तरक्की करे । (पर.... मेरे चाहने से क्या होता है ।)
26 जनवरी का दिन । हर साल की तरह इस साल भी घर के सभी लोग ,मै ,मेरे पति ,दोनो बेटे , अपने-अपने ऑफिस /स्कूलो मे गणतंत्र दिवस मनाने के लिये जाने के लिये तैयार होने लगे । आज सुबह ठंड भी रोज की अपेक्षा कम लग रही है ।मेरे ऑफिस मे सुबह 8 बजे झंडा फहराने का कार्यक्रम है । फटाफट तैयार होना है , रास्ते मे office की friend को भी pick करना है और समय पर पहुचना है ।
तभी छोटे बेटे ने पूछामम्मा ,कब तक घर आ जाओगी?
मै - ”10 बजे तक “
“अच्छा मम्मा, republic का क्या मतलब है ?”
मै – “ मतलब, गणतंत्र “
”गणतंत्र मतलब?”
मै – “मतलब हमारी country मे public का राज है , राज काज public की राय से एवम उसके द्वारा elected representatives के द्वारा किया जाएगा”
“उससे क्या हो जाएगा?”
मै – “ बेटू , अब मुझे देर हो रही है । ऑफिस जाना है ।“
“Happy Republic Day , मम्मा। आज गाडी मे झंडा जरूर लगा लेना ।“
मै- “ OK, Bye”

मै निकल पडी ।
Confused हू । क्या पता Republic day का मतलब मै खुद सही प्रकार से समझ सकी हू कि नही !!! क्या मै समझी और क्या बेटे को समझाया?

PS: अपने ब्लॉग पर तिरंगा लगाना चाहती हूं।

शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

3-i - All is Well - क्या सच मे सब ठीक है ?

आमीर खान की 3-I सुपर डूपर हिट रही । पिक्चर बहुत ही अच्छी बन पडी है , इसमे कोइ दो राय नही है ।सभी पात्र, चतुर, वायरस , रेंचो, मिलिमीटर ,डॉ. वांगडु ,..... बहुत बढिया रहे। चतुर का स्टेज पर भाषण ..वाह वाह क्या कहने ।
पिक्चर ने आज के youngsters,college going students एवम teen agers पर गहरी छाप छोडी है ।
कहानी ज़बर्दस्त है ।
परंतु ..कुछ बाते खटक गयी ।
हीरो का हर समय घूमना फिरना, मौज मस्ती मे लगे रहना , यह सन्देश देना कि सिर्फ किताबी पढाई से कुछ नही होगा,..फिर भी exams मे हमेशा टॉप करना !!!
पढाई के दौरान टीचर के दबाव के विरोध मे छात्रों का आत्म हत्या के लिये उतारू हो जाना !!!!

पता नही यह देख कर वे बच्चे जो अभी 10 वी,11वी और 12 वी मे पढ रहे है और किसी ना किसी professional college मे admission के लिये entrance test की तैयारी मे लगे है, क्या सबक लेंगे ।

I hope all is well ,all is going to be well, always...

बुधवार, 13 जनवरी 2010

न्यू ईयर ग्रीटिंग कार्ड

नया साल आकर लगभग दो हफ्ते होने को है ।इस दौरान सभी परिचितो से मेल मिलाप हुआ । दुआ सलाम हुई । नव वर्ष की शुभ कामनाओ का आदान प्रदान हुआ ।

यूं ही कुछ गीनती – हिसाब लगाने पर देखा कि, मेल बॉक्स मे लग्भग 45 से 50 नव वर्ष सन्देश मिले। मोबाइल मैसेज बॉक्स मे भी अन्दाजन 60 से 70 मैसेज थे । (मैसेज बॉक्स दो बार फुल हो गया था !)

लेकिन, लेकिन ... सबसे ज्यादा आश्चर्य एवं खुशी हुई जब मुझे एक इकलौता New Year ग्रीटिंग कार्ड मिला । ऑफिस के एक कलिग (अलग सेक्शन मे कार्यरत् एक ज़ुनिअर ) ने 4 जनवरी के दिन मेरे ट्रेनिंग सेंटर मे आकर नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ हमारे सभी स्टाफ को एक - एक New Year Greeting Card भेंट किया।

मेरे नाम के इस इकलौते शुभ कामना सन्देश से मै इस सोच मे पड गई कि यह बन्दा भी औरो की तरह ईमेल या SMS से अपना काम चला लेता । वो न्यू मार्केट गया होगा , अलग अलग डिज़ाइन के कार्ड्स खरीदे होंगे और फिर उन पर नाम लिखने का काम... ग्रीटिंग्स कार्ड्स देने की परम्परा को जारी रखे हुए ...। वाह भई वाह ! keep it up !

मैने वो कार्ड ऑफिस टेबल की कांच के नीचे सजा कर रखा हुआ है ।

सोमवार, 4 जनवरी 2010

नया साल 2010.

नया साल 2010.
एक और साल बीत गया । नये साल ने पुराने की जगह ले ली है ।
जाते जाते कुछ सनसनी बनाती खबरे है- 19 साल पुराना मामला - पुलीस का बडा अफसर और 14 साल की छोटी सी बच्ची के साथ जोर जबर्दस्ती ?क्या घटना को अंजाम देते समय 42 या 45 साल के वयस्क पुलीस अफसर को स्वयम की बेटी याद नही आई ?
दूसरी खबर नये साल के आगमन के साथ ही - 3 खतरनाक पाकिस्तानी आतंक वादी हिरासत से फरार ... हमारी पुलीस प्रणाली अब भी सो क्यो रही है? देश पर बडॆ बडे आतंकी हमले हो चुके है ।और हमले होने की सम्भावना गुप्तचर एजेंसियो द्वारा बार बार व्यक्त की जा रही है पुलीस अपने काम मे कब चुस्त दुरुस्त होगी? बडा सवाल है ।

इन परीस्थितियो मे भी आशा है नया साल भारत वर्ष के लिये शायद सुख और शांती ले कर आया है ।